अच्छी खासी पढाई करने के बाद घर वालो ने एक खूबसूरत हसींना से मेरी सादी भी करवा दी मुझे जॉब दिल्ही में लगी थी जिसकी वजह से मुझे अपनी बीवी को लेकर अपने माँ बाप से दूर जाना पड़ा पहले तो अच्छा नहीं लगा मगर धीरे धीरे सब सेट हो गया में एक कंप्यूटर इंजीनियर हु
मेरी बीवी पायल
भरा हुआ बदन हे हमेशा मोर्डेन विचार रखती हैं मुझसे प्यार भी बहुत करती हैं और बदकिस्मती से मेरी जॉब इसके मायके (डेल्ही)में ही लगी थी
घर भी उनके घर से नजदीक ही था बस 1-2 किलोमीटर का फसला था पायल की दो बहने हे एक उससे बड़ी और एक उससे छोटी
पायल की बड़ी बहन स्नेहा जिसका बदन तो पायल से भी ज्यादा गदराया हुआ हैं हा पायल जितनी मस्तीखोर नहो हे समज दार हे .. फिर भी नजाने क्यों अभी तक अपने सपनो का राज कुमार ढूंढ रही हे हमेसा पुरे कपड़ो में रहती हे साडी पहनती हे और कॉलेज में प्रोफेशर हे
पायल की छोटी बहन अंजलि मशाल्ला क्या बदन हे बिलकुल पतली और गोरी चीटी भले ही उसकी छाती के उभर अभी कम थे मगर उसे भी एक सेक्सी माल कहा जा सकता हे सबसे सरार्ति भी तो यही थी .. अभी कॉलेज में पढाई कर रही हे
थक हार कर जब में घर पर पोहचा
मेरे ससुर जी सोफे पर बेठे हुई चाय की चुस्की ले रहे थे मम्मीजी और दोनों सालिया किचन में थी पायल की मदद कर रही थी
मुझे अंदर आता हुआ देख कर ससुर जी खड़े हो गये
" अरे दामाद जी आइये आइए "
मेरे ही घर में मुझे कह रहे हे जेसे में मेहमान बन कर आया हु
पायल के घर वाले अक्षर वीक में 1-2 बार आया करते थे इसलिए अब इन सब की आदत लग गयी थी
में अपनी बेग सोफे पर फेंकते हुए सोफे पर गिर गया पसीने से भीग चूका था
तभी मेरी साली अंजलि ने मुझे देख लिया वो उछालते हुए मेरे पास आकर बेथ गयी और आस पास कुछ ढूंढने लगी
" क्या ढूंढ रही हो अंजलि " मेने बड़ी व्याकुलता से उसे पूछा
" आप मेरे लिए कुछ भी गिफ्ट नहीं लाये " उसने चिंतित स्वर में कहा उसका चेहरा उदास सा हो गया मगर उदास चेहरे में वो पहले से ज्यादा खूब सूरत लग रही थी
मेने भी हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा " अरे पगली आज ऑफिस का पहला दिन था .. आज पहली सेलरी नही मिलने वाली थी जो तुम्हारे लिए गिफ्ट लेकर आवु " सामने बेठे पापाजी हम दोनों को गुरे जा रहे थे
" आप सबसे बुरे जीजू हो .. हह " अपना चेहरा बिगड़ते हुए अंजलि दूसरी तरफ मुद कर बेथ गयी
अब सामने पापा जी गुर रहे थे मिजे तो फिलहाल चुप रहना ही ठीक लगा
कुछ देर ऐसे ही बेठी रही ..
पापाजी को किसी का फ़ोन आया वो वाट करते करते बहार चले गए
मेने तुरंत उसे अपनी तरफ किया
" अरे बाबा अब माफ़ भी करदो ना ... बोलो क्या सजा दोगी " मेने अपने दोनों हाथ उसके गाल पर रखते हुए कहा
" में जो कहूँगी वो करना पड़ेगा "थोडा नखरे दिखाते हुए उसने कहा
" अरे इसा कभी हुआ हे की हमारे साली साहेबा कुछ कहे और हम ना करे " मेने भी मस्ती भरे स्वर में कहा
" आपको कल मुझे मूवी लेजाना पड़ेगा " उसने मेरे कान में आकर धीरे से कहा
" क्या ... '' मेरी तो फट के हाथ में आ गयी थी
ऑफिस का दूसरा दिन और छूटी लेनी पदेगी
" देखो अंजलि मेरा कल दूसरा दिन हे मुझे छूटी नहीं मिलेगि और हम दोनों अकेले जायेगे तो घर वाले क्या सोचेगे " मेने थोडा चिंतित होते हुए कहा
" वो सब मुझे नहीं पता आप को बस मुझे कल मूवी ले जाना हे " उसके मुह पर हल्का सा गुस्सा था
" ओके शाम को 9-12 के सो में चलेगा " मेने सुजाव देते हुए कहा
" मगर में घर पर क्या कहूँगी रात को कहा जा राही हु " उसके चेहरे पर टेंशन की लकीरे साफ़ नजर आ रही थी
" ओफ़ोफो तुम भी ना ... कह देना तुम्हारे फ्रेंड की बिर्थ पार्टी हे .. में मीटिंग का बहना बना लूंगा " मेरे चेहरे पर हलकी सी मुस्कान थी
अंजलि के हसीं मुखड़े पे भी हँसी की लहर दौड़ गयी वो भी भागति हुई किचन में चली गयी
में फिर से सोफे पर निढाल हो गया तभी पायल अपने हाथ में चाय का कप लकर मेरी तरफ आने लगी
टेबल पर चाय का कप रख कर अपने दुप्पटे से मेरे चेहरे पर लगी पसीने की बूंदों को साफ़ करने लगी
" उफ़फ़फ़फ़ पायल तुम कितनी केअर करती हो मेरी " मेरे दिल में पायल के लिए बना हुआ प्यार बहार आ रहा था
" आप भी तो मेरी केअर रखते हो " उसने कुछ ज्यादा ही मस्ती में कहा वो सेक्स की बात कर रही थी जिसे में समज चूका था
में मंद मंद मुस्कुराने लगा
फिर पायल उठ कर किचन में चली गयी
फिर कुछ ही पल में खाना रेडी हो गया हम सब ने खाना खाया फिर वो लोग अपने घर चले गये
में भी बेडरूम में चला गया और पायल के आने का इंतज़ार करने लगा
में बेशब्री से पायल के लोटने का इंतजार कर रहा था पलंग पर लेटे हुए बस अपनी सासु माँ और दोनों सा1लिओ के बारेमे ही सोच सोच कर मेरा लंड अकड़ने लगा था में बार बार उसे पेंट के ऊपर से सेट कर रहा था तभी मेरी आँखे चमक गयी जब मेने अपने सामने अपनी बीवी पायल को देखा क्या खूब लग रही थी वो
ऊपर एक टीशर्ट पहनी हुई थी और निचे केप्री में थी और बिना ब्रा में उसके गदराये हुए मुम्मे मेरे लंड की हालत बिगाड़ रहे थे मेने एक बार फिर से अपने लंड को पेंट के ऊपर से सेट किया जिसे देख कर पायल के चेहरे पर मुस्कान आ गयी अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था में खड़ा हो गया और मेरे बढ़ते कदम मेरी बीवी पायल की और बढ़ रहे थे जो ईश समय दरवाज़े पर खड़ी थी और कातिल मुस्कान दे रही थी में कुछ ही पलो में उसके साथ खड़ा था ..हम दोनों एक दूसरे की आँखों में खो गए थे मेरे हाथ उसके गालो को सहला रहे थे मेने अपना मुह आगे बढ़ाया और इसके रसीले होठो पर अपने होठ रख दिए में अपने हाथ उसके बालो में सहला रहा था और पगलो की तरह उसे चूमे जा रहा था अब धीरे धीरे वो भी मेरा साथ दे रही थी मेने उसकी टीशर्ट को ऊपर खिसकाया और उसके दोनों मुम्मो के ऊपर टांग दिया
अबी उसके रसगुल्लों जेसे बड़े बड़े गोल मटोल मुमे मेरे सामने थे सफ़ेद मुम्मो पर उसका काला निपल वातावरण को और भी गरम कर रहा था मेने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके निपल को ऊँगली और अंगूठो के बिच दबा दिया उसके सरीर में करंट सा फेल गया हलकी सी सिसकी उसके मादक मुह में से निकल गयी मेने आगे बढ़ते हुए उसके गदराये हुए मुम्मो को अपने मुह में भर लिया और चूसने लगा अब तो वो जेसे पागल ही हो गयी ही मेरे सर को पकड़ कर उसके मुम्मो पर दबा रही थी और अपने सरीर को हिला रही थी
आह्ह्ह्ह्ह् चूसो आयुष चुसो म्मम्मम्मम्म
उसके इस आवाज़ को सुन कर मुज में अजीब सी ताकत आ गयी में और जोरो से उसके निप्पल को चूसने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा मेने अपना दूसरा हाथ आगे लेजाकर उसकी गरम चूत पे रख दिया जहा पर गीलापन और गरमाहट साफ़ महसूस हो रही थी मेने उसकी चूत पर हाथ रख कर उसे मसल दिया जिसकी वजह से पायल और भी उत्तेजित हो गयी और पागलो की तरह मुझे चूमने लगी और गुटनो के बल बेठ गयी उसने मेरे जीन्स का बटन खोलते हुए उसे और अंडरवेर को निचे खिसका दिया जिसकी वजह से मेरा 8 इंच का लंबा लंड हवा में जुलने लगा
पायल की आँखों में चमक सी आ गयी थी वो अपने आप को रोक नहीं सकी और उसके हाथ अपने आप मेरे खड़े हुए लंड पर आ पहुचे थे थोडा थूक लगते हुए उसने मेरे लंड को सहलाना सुरु कर दिया और मेरी गोलियों से भी खेलने लगी गुप्प्पप्पप्प करते हुए उसने मेरे लंड को एक ही झट्के में पूरा अपने मुह में भर लिया मेरे तना हुआ लंड उसके गले तक साफ़ महसूस हो रहा था
जिसकी वजह से उसको साँस लेने में भी तकलीफ हो रही थी मगर अभी तो वो वासना की प्यास में डूबी हुई थी उसने मेरे लंड को चूसना सुरु कर दिया
पायल की चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी मेने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उसकी चूत पर रख दिया उसकी टाइट चूत पे मेरा गरम हाथ पड़ते ही वो मचल सी गयी उसके सरीर में करंट सा छा गया मेने उसे अपनी गॉद में बिठा दिया और पलंग पर पटक दिया मेने उसकी दोनो टांगो को अपनी बहो में लिया और अपना मुह उसकी कमसिन चूत पर रख दिया उसके मुह से हलकी सी अह्ह्ह निकल गयी उसने मेरे सर को अपनी चूत पे दबा दिया और सिसकिया भर ने लगी में कुत्ते की तरह अपनि जीभ फड़फड़ाता हुआ उसकी चूत को बेरहमी से चाटे जा रहा था उसकी मादक सुगंध मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी मेरी गति धीरे धीरे बढ़ रही थी और पायल की सिसकिया तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी में खड़ा हुआ और उसकी रसीली चूत पे अपना लंड रख दिया थोड़ी बहुत थूक लगा कर मेने अपने लंड को धक्का दया और मेरा आधे से ज्यादा लंड पायल की चूत में चला गया वो मचल सी गयी स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह एक सिसकी निकल गयी मेने एक और धक्का दिया और मेरा तूफानी लंड पायल की चूत की गहराइयो को चीरता हुआ उसकी चूत मे जा गुसा थोड़ी देर रुक कर एक बार फिर मेने उसकी चूत में से लंड निकल कर पूरा अंदर गुसा दिया अह्ह्ह्ह स्स्स्स आयुस वो कराह उठी उसकी चूत की गहराई में मेरा तूफानी लंड रग रग में महसूस हो रहा था
मेने उसकी गदराई हुई मुम्मो को पकड़ा और तेज़ी से अपने लंड को उसकी चूत की गहराइयो में धकेलने लगा बड़ी तेज़ी से धक्के लगाने लगा थोड़ी देर बाद उसको खड़ा किया और में बीएड पर लेट गया और बो मेरे लंड पर उछालने लगी फच फच की आवाज़ गूंजने लगी उसके मुम्मे बुरी तरह हवा में लहराने लगे ...
मेने एकदम से अपनी तेजी बढाई और तेज़ी से उसकी चूत मारने लगा आह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्हझह स्स्स मर गयी आयुष आआआअह्हह्हह्ह कराहते हुए बड़ी मस्ती से वो मेरे लंड पर उछाल भर रही थी थोड़ी देर बाद मेने उसे गोडी बना दिया और उसकी कमर पकड़ कर पागलो की तरह उसे चोदने लगा उसका बुरा हाल था अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उसके आँखों मेसे आंसू निकल औए थे और रोते हुए चिल्ला रही थी आआआआआह्हह्हह्हह्ह उसकी चूत से खून निकालने की सुरुआत हो चुकी थी मेने उसको करीब 15 मिनिट तक चोदा और फिर जड़ गया और निढाल होकर उसकी पीठ पर लेट गया और नजाने कब हम दोनो की आँख लग गया पता ही नही चला सुबह जल्दी उठ कर ऑफिस के लिए निकल गया मगर लंड तो मेरा मेरी साली अंजलि के बारे में सोच सोच कर उछाल भर रहा था..फिर भी ऑफिस पोहचा पूरा दिन बस अपनी साली के बारे में ही सोचता रहा मन ही नही लगा काम में ..बस जेसे तैसे करके 7 बजे ऑफिस से जल्दी अपने ससुराल वालो के घर चला गया ...वेसे भी अंजलि ने कहा था की टिकट का इंतेज़ाम वो खुद करेगी इसलिए टिकट की टेंसशन तो थी नहीं मगर अंदर ही अंदर मन मरा जा रहा था ये जान्ने के लिए की कोनसी फ़िल्म देखने चलना हे ..कुछ ही पल में में अपने ससुराल वालो के घर पर था बेल बजायी और दरवाज़ा खुलते ही मेरी आँखे चमक गयी .वहा अंजलि कड़ी थी लाल स्लीव लेस टीशर्ट में उसके गदराये हुए मुम्मे क़यामत लग रहे थे में तो बस उसकी बड़ी क्लेवेज को ही गुरे जा रहा था ..उस्के उभर भले ही छोटे थे मगर कमाल के थे ..उसने मेरी नजर का पीछा करते हुए पाया की में कहा गुर हु ....उसने अपनी आँखों में गुस्सा दिखाते हुए अपनी आँखे छोटी क्र दी और अपना एक हाथ अपनी कमर पर रखते हुए कहा" जिजूऊऊऊऊ...."
में अचानक होश में आया और मस्ती भरे अंदाज़ में कहने लगा " अब अपने जीजू को अंदर भी नही बुलाओगी क्या " मगर न जाने उसने तो कसम खा रखी हो वह से ना हटने की ...उसके हाथ अभी भी उसकी कमर पर थे जिसकी वजह से मेरी आँखो ने उसकी गोरी बगल पे तेर रहे बड़े बालो को देख लिया था ...में एक कुत्ते की तरह अपनी जीभ में से लार टपका रहा था ..मेरे पेंट में भी हलचल ..अरे हलचल क्या पूरा तूफान उठा हुआ था ...में अपनी आँखों से उसे चोदे जा रहा था और वो अपनी आँखों से मेरे ऊपर आग उगल रही थी ..तभी पीछे से आवाज़ आई "अरे दामाद जी आप कब आये " उन्होंने दरवाज़े की तरफ आते हुए कहा ..मगर तब तक उनकी सहज़ादि बुरा मान कर अपने कमरेे में चली गयी
"अरे इसे क्या हो गया अब ...." इतना कहते हुए सासु माँ दरवाज़े पे खड़े खड़े उसी को जाते हुए देखने लगी
" अरे आप आइये " मेने अंदर जाकर मेंन हॉल में सोफे पर बेथ गया..और इंतज़ार करने लगा की कब हमारी साली साहेबा आएगी ..दूसरी तरफ मेरे साफ मना करने के बावजूद मेरी प्यारी सासुमा चाय बनाने चली गयी .अब मेने सामने पड़ा रिमोट उठा कर टीवी देखने लगा इंटरेस्टिंग मैच चल रहा था ..तभी घर का मेन गेट खुला और मेरी नजर अपने आप उधर चली गयी नजारा ही कुछ इसा था .. ब्लैक कलर की साडी में मेरी बड़ी साली स्नेहा दरवाज़ा बन्ध करने की कोशिश कर रही थी ...क्यों की उसके दोनों हाथो में कलाज के प्रोजेक्ट का सामान था उसे दरवाज़ा बन्ध करने में दिक्कत हो रही थी...वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी ...उसकी मखमली गांड ने पहले से ही मेरे लंड मेंे हलचल करवा दी थी...में उठा और उसकी मदद के लिए दरवाज़े तक पोहच गया ..मेने उसके कोमल हाथ पर अपना हाथ रख दिया ..उसने मुझे गरते हुए कातिल स्माइल दी " अरे स्नेहा जी लाइए में उठा लेता हु "
वो भी बड़बड़ाई
" अरे अरे में कर लुंगी "
(वेसे भी आपको देख कर मेरा उठ ही जाता हैं ..सामान तो आपका भी उठाना हे मगर अभी देर हे..क्यों की उसके यहा देर हे अंधेर नही ) मन में मेने सोचा
फिर स्नेहा के मना करने पर भी मेंने उस सामान को उठा कर हॉल के बिच रखे टेबल पर रख दिया
और वो सोफे पर बैठ गयी और अपने साडी के पल्लू से अपने चेहरे के पसीने को पोछने लगि..थकान की वजह से उसकी फूली हुई छुचिया ऊपर नीचे हो रही थी ..
जिसे देख कर मेरा कबूतर फड़फड़ा ने लगा था और बड़ा सा तम्बू बांध लिया था जिसे स्नेहा की आखो से बचा पाना मुश्किल था
पसीना पोछते पोछते उसकी नजर मेरे लंड पर आकर रुक गयी और आँखे भी बड़ी हो गयी
" वेसे आपका सामान बहुत भारी हे "
" आयुश ये तुम क्या बोल रहे हो " वो मुज से बड़ी थी इसलिये नाम से ही बुलाया करती थी
अब मेरी तो फट गयी थी इस लंड ने मरवा दिया आज मुझे तो लगा आज मार खा कर ही घर जाउगा
" अरे म ...म..मेरे मतलव ये कोलेज का सामान ..."
तभी सीडिया कूद टी हुई अंजलि आई और कहने लगी
" जीजू चले "
मेरी तो किस्मत खुल गयी मेने सोचा चलो बच गया पहली बार सही टाइम पर आई हे ये
अरे वाह क्या लग रही थी ऊपर टॉप था नेट वाला और नीचे मिनी स्कर्ट ..जो बडी मुश्किल से उसकी जांग को ढक रहा था
हल्का सा मेकअप
अंजलि को ऐसे कपड़ो में देख कर
" अरे अंजलि कहा जा रही हो तुम रात के 8:3० बजे "स्नेहां की आखो में गुस्सा साफ झलक रहा था
अंजलि तो हमेशा से डरति थी स्नेहा से वो तो गभरा गयी और हड़बड़ाने लगी
असल में उसका प्लान था की दीदी के आने से पहले निकल जाना मगर मुझसे नाराज होने के चककर में वो खुद का ही नुकशान कर बेठी थी
"अरे अरे आप भी हमेशा डराति रहती हैं बिचारी को ..." मोके पर चोका लगते हुए मेने अंजलि को एक साइड से गले लगा लिया जिसकी वजह से उसकी नंगी बगल मेरे हाथ को टच कर रही थी
मेरी ये हरकत देख कर तो स्नेहा सुलग सी गयी
" अंजलि अपने कमरे में जाओ कहि नही जा रही तुम " स्नेहा ने गुस्से में कहा
"बट दीदी मेरी पक्की सहेली की बर्थडे हे नही जाउगी तो उसे बुरा लगेगा" अंजलि ने कांपते होठो से कहा वो अब भी मेरी बहो में थी
" चुप चाप अपने कमरे में जाओ " स्नेहा सोफे पे से खड़ी हो कर आग उबलने लगी
स्नेहा की इस हरकत से अंजलि का पूरा बदन काँप उठा और हड़बड़ाते हुए उसने मुझे कस के गले लगा लिया
" ये क्या कर रही हैं आप ....देख रही हे कितना डर रही हे ..इसका उसकी पढ़ाई पर क्या असर होगा पता हे आपको " में भी फूल मूड में था
" पढाई .. हे हे .. कॉलेज में देखती हु ना में की किस तरह लड़को से चिपक कर पढ़ाई करती हे ये ...अंजलि आखरी बार कह रही हु में अंदर जाओ "
अंजलि ने मुझे और कस के गले लगा लिया जिसकी वजह से मेरा खड़ा लंड उसकी कुंवारी चूत पे चुभ ने लगा और उसके निपल भी मेरी छाती में चुभ रहे थे
अंजलि अब रोने लगी थी जो अब मुझे बर्दास्त नही हुआ
" क्या कर रही हे ..आप अगर इतनी ही प्रॉब्लम हे अंजलि से तो में उसे अपने घर ले जाउगा मगर इतना गुस्सा हद होती हे "
बहार चल रही नोक जोक को सुन कर सासु माँ भी बहार आ गयी
मगर सासुमा की भी स्नेहां के आगे नही चलती थी ..यहाँ तक की ससुरजि की भी फट जाती थी स्नेहा की डांट सुन क्र
स्नेहा का मुकाबला कोई कर सकता था तो वो थी मेरी पत्नी पायल ..मगर उसकी शादी हो जाने के बाद तो स्नेहा रानी बन चुकी थी
सायद उसका गुस्सा भरा स्वाभाव ही कारन था की उसकी शादी नही हो रही थी
ममीजी भी वहा आकर तमासा देखेने लगी
मेने अंजलि का हाथ पकड़ा और उसे लेजाने लगा " चलो अंजलि "
मम्मीजी को कोई ऑब्जेक्शम नही था क्यों की उसी में अंजलि की भलाई थी आखिर डर डर कर कब तक रहती वो आखिर उसकी भी कोई ज़िन्दगी हे
और में कुछ ही पल में अंजलि के साथ अपनी कार में बेठा था और कार स्टार्ट कर रहा था ..अभी भी अंजलि के आँखों में से बहती गंगा बहती जा रही थी
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